धात का ईलाज धातु रोग के आयुर्वेदिक उपाये
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धातु रोग क्या है
दोस्तो मल मूत्र से पहले या बाद मे मूत्रनली से कभी-कभी सफेद रंग का चिपचिपा सा द्रव्य का निकलना ही धात रोग कहलाता है।यह सफेद चिपचिपा पदार्थ ही मनी या वीर्य होता है जिसे धातु कहते है ।धातु रोग के कारण
धात आना या धात गिरने या धातु रोग के ज्यादातर ये कारण होते है ।- कामुक विचारों मे लीन रहना
- पेट मे हमेशा कब्ज रहना
- मनी का अधिक जमा हो जाना
- मनी का अधिक पतला होना
- संभोग की अधिकता
- गरम ताशीर से स्वभाव मे अधिक ताप होना ओर गरम चीजों का अधिक सेवन करना
- खाना खाने के तुरंत बाद संभोग करने से गुर्दे की चर्बी पिघलने लगती है ।जिससे धात रोग की उत्पत्ति होती है
धातु रोग से नुकसान
- कमर मे दर्द होना- आंखों मे अंधेरा छाना
- चक्करों का आना
- घुटनों मे पैरो मे तकलीफ रहना
- शरीर कमजोर तथा दुर्बल होते जाना
धातु रोग, धात गिरना या शुक्रप्रमेह को ठीक करने के उपाये
1- सतावर 20ग्राम,गाजर के बीज 20ग्राम,इमली के बीज 20ग्राम ओर मिश्री 60ग्राम इन सब को बारीक पीसकर एक जान कर ले सब को मिक्स कर ले अब इस चूर्ण की 6ग्राम खुराक दिन मे दो बार पानी से ले ।2- रोज सुबह बड़ के पत्ते तोड़ कर उसके दूध की दस बूंदे बतासे पर टपका कर खा ले ।यह भी धात रोग ठीक करने का अचूक उपाये हे ।
3- सफेद मूसली 60ग्राम और मिश्री 60ग्राम दोनो को पीसकर चूर्ण बना ले तथा 6ग्राम सुबह गाय के दूध से सेवन करें ।
धातु रोग की आयुर्वेदिक दवायें
सुबह शाम एक से दो गोली शहद से
- चन्दनासव
सुबह शाम 10 से 25 मिली समान पानी से
- अश्वगंधारिष्ट
सुबह शाम 10 से 25 मिली समान पानी से
- बबूलारिष्ट
10 से 25 मिली समान पानी से
- मूसली पाक
सुबह शाम एक चममच गाय के दूध से
किसी भी रोग की गंभीर स्थिति से बचने के लिये समय पर चिकित्सक को दिखाना चाहिये ।धन्यवाद
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